डा० धर्मेन्द्र कुमार सिंह, कुलपति
किसी भी राज्य के विकास के लिए तकनीकी शिक्षा अति आवश्यक और महत्वपूर्ण होती है। झारखंड में तकनीकी शिक्षा के विकास और यहाँ के युवाओं को सार्थक तकनीकी शिक्षा उपलब्ध करवाने के उद्देश्य से वर्ष 2017 में झारखंड प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय की स्थापना हुई थी। किन्तु किन्हीं कारणों से इन उद्देश्यों की पूर्ति करने की दिशा में किए गए कार्य में कोई गति नहीं थी और कोई ठोस कार्य नहीं हो पाया। अभी भी देर नहीं हुई है। अभी भी यदि हम सब एक जुट हो कर निष्ठा और कठिन परिश्रम के साथ प्रयास करें तो हम इस विश्वविद्यालय को और झारखंड में तकनीकी शिक्षा को नई ऊंचाइयों तक पहुंचा सकते हैं। इसके लिए सर्वप्रथम हम शैक्षणिक सत्र में विलंब को समाप्त करके इसे निर्धारित समय पर ला रहे हैं। विश्वविद्यालय के नियम व कानून बना लिए हैं। विभिन्न पाठ्यक्रमों के ऑर्डिनेन्स और सिलेबस तैयार कर लिए हैं। विश्वविद्यालय में मुख्य परिसर में भी तीन विधाओं में एम.टेक. पाठ्यक्रम इसी सत्र 2022 से आरंभ है। झारखंड राज्य में देश की लगभग 40% खनिज धरोहर है। कोयला, लौह, ताम्र और विद्युत क्षेत्रों में कई बड़ी कंपनियाँ इस राज्य में हैं। कई अन्य उद्योग भी हैं। किन्तु झारखंड के युवा को आजीविका और रोजगार के अवसर के लिए दूसरे राज्यों की ओर पलायन करना पड़ता है। हमारे युवाओं को झारखंड में ही रोजगार के अच्छे अवसर मिल सकें इसके लिए हम कई बड़ी कंपनियों, उद्योगों और संस्थानों के साथ समझौते कर रहे हैं। CCL के सहयोग से युवाओं के कौशल विकास के लिए विश्वविद्यालय में इनक्यूबेटर केन्द्र की स्थापना किया गया है। विश्वविद्यालय में प्लेसमेंट, उद्यमिता और उद्योग-संस्थान सहयोग प्रकोष्ठों की स्थापना भी की गई है। झारखंड के युवा इस राज्य के सबसे बड़े संसाधन हैं। मुझे पूरा विश्वास है कि जब तकनीकी कौशल युक्त उच्च तकनीकी शिक्षा प्राप्त स्थानीय युवा उपलब्ध होंगे तो अनेकों बड़े उद्योग स्वयं ही यहाँ स्थापित होंगे। इस प्रकार उत्पन्न रोज़गार के अवसरों से न केवल स्थानीय निवासी बल्कि सम्पूर्ण झारखंड राज्य समृद्ध और खुशहाल होगा। इन उद्देश्यों से हम झारखंड प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय में आधुनिकतम और सार्थक तकनीकी शिक्षा प्रदान करने का प्रयास कर रहे हैं जिससे यह विश्वविद्यालय झारखंड के चहुंमुखी त्वरित विकास के लक्ष्य में अपना योगदान दे सके।